नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म (NIMCJ) में 13 सितम्बर से 18 सितम्बर तक “आत्महत्या रोकथाम जागरूकता अभियान” मनाया गया ।
पहले दो दिन विद्यार्थियों द्वारा कॉलेज में सकारात्मकता का माहौल बनाने का प्रयास किया गया | कॉलेज में विभिन्न स्थानों पर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित पोस्टर लगाये गए एवं अनेक मानसिक रोग विशेषज्ञों को संपर्क करने हेतु उनके नाम और फ़ोन नंबर का एक चार्ट तैयार किया गया |
तीसरे दिन कॉलेज में एक बॉक्स रखा गया जिसका नाम “हिट बॉक्स” था |इस बॉक्स को रखने का मुख्य ध्येय था कि सभी नकारात्मक भाव को काग़ज़ पर लिख कर कर खुदको बेहतर महसूस करा सके|
इसी प्रकार अगले दिन एक “बीट इट” बॉक्स रखा गया जिसमें उन सभी बातों को लिखा गया जिनसे हमें अपने निराशावादी विचारो से लड़ने की क्षमता मिलती है यही नहीं एक “फ़ूड थेरेपी” का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य सभी को उनका मन पसंद खाना खिलाना था और उस खाने से मिलने वाली ख़ुशी का अनुभव करवाना था |
अगले दिन विद्यार्थियों ने विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया जिससे वे अपना मन के भाव लेखन,चित्रकारी, जैसी अन्य गतिविधियों से प्रकट कर सके और अपने मन से नकारात्मक भाव किसी ना किसी जरिए से अभिव्यक्ति कर सके |
जागरूकता सप्ताह के आखिरी दिन पर मनोवैज्ञानिक श्रीमती “पूजा शर्मा नाथ” जी को आमंत्रित किया गया था | पूजा जी ने सभी के साथ आत्महत्या के कारण और आत्महत्या जैसे भयानक कदम को उठाने के विचारों को हटाने के सुझाव भी दिए |उन्होंने साथ ही यह भी बोला की सुनना और बोलना दोनों ही बेहद जरुरी है | हम सभी को हमारे आस पास के लोगों की परेशानियों और बातों को सुनना चाहिए क्यूंकि अंत में हम सभी को सुनने वाला कोई चाहिए जिससे हम अपने मन के सभी भाव व्यक्त कर सके |
कॉलेज में यह सप्ताह सभी के लिए बहुत लाभदायक साबित हुआ|जीवन में कितनी ही मुश्किल क्यों न आ जाए जीवन को अंत करना उस परेशानी से भागने का उपाय नहीं है | आत्महत्या निवारण नहीं है बल्कि पीछे बहुत -सी परेशानियों का रूप बन कर जाती है
अक्षिका व निशु द्वारा लिखित