बातें मारामारी की
और इज्ज़त नहीं नारी की,
बैठ के बस तुलना कर ले तू
स्कर्ट, जीन्स और साड़ी की |
नीच है तू, पापी है,
चोर है तू, बेईमान है |
धर्म के नाम पे रोता है,
चैन से कैसे सोता है |
मैला मन, स्वार्थी सीरत,
धोने पाप चला तू तीरथ |
नासमझ समझदार कही का,
मौसम जैसे बदले फितरत |
उठ जरा….! देख चारो और
अंधियारा छाया है घोर,
हर नुक्कड़ बैठ हैं सरपट
तेरे – मेरे जैसे चोर |
सुधर जा, अभी वक़्त है,
कानून जीवन का सख्त है |
कही धुप, कही छाँव,
कही फुल तो कही रक्त है |
कठिन है जीवन मन है,
मोक्ष सभी को पाना है,
इस निति से क्या पायेगा
फिर ऊपर भी तो जाना है |
क्यों……????
By Akshay Chaudhary
akshaychaudhary079@gmail.com