कहते हैं की सबसे बेहतरीन कारीगरी मासूम होती हैं 
एक अँधेरे कमरे में, 
बच्चो की कतार  
अपने बचपन की लाश का कफ़न बन रहे हैं 
वह बचपन,
जो उनके पैदा होने से पहले ही मर गया.
और लोग इस मुर्दा बचपन को चद्दर और कालीन कहते हैं   
वही मासूम हाथ जो नरम नहीं 
अपनी फनकारी की वजह 
छू कर महसूस करना खो चुके हैं 
और एक बेजान यंत्र की तरह 
तम्बाकू के पत्तो को 
लपेटे जा रहे हैं.
वह तम्बाकू को नहीं भर रहे,   
पर हर एक कड़क भरा पत्ता 
उनके बचपन से भरा पड़ा हैं.
वह बचपन 
जो उनके पैदा होने के पहले हे चल बसा  
और लोग उन पत्तो को बीड़ी कहते हैं  
एक फैक्ट्री के एकांत में 
बच्चो की कतारें 
कागज़ की गाड़िओं को जोड़ रहे हैं 
और अपने बचपन की रोषनिओ से भर रहे हैं 
वह बचपन 
जो उनके पैदा होने के पहले ही अंधेरा हो गया 
और लोग उन्हें पठाखें कहतें हैं |
-दीपेन उपाध्याय