जज़्बात तेरे, जज़्बात मेरे

ख़ामोशी की चादर ओढ़े

रात के अँधेरे में

तारों की मौजूदगी में

तू बारिश की बूँदो की तरह

तू धड़कते दिल की रफ़्तार की तरह

प्यार सिखाती, रिश्ते संजोती

जब देखो ख़ुशियाँ बांटती

तू चाँद की गूँज सी

तू सर्दी की धूप सी

तू समुन्दर, तू ही आसमान

तू मुक़द्दर, तू ही जहान 

कितना कुछ है कहना मुझे

कितना कुछ है सुनना तुझे

मेरी ख़ामोशी को ग़ौर से सुन

हर साँस में है तेरे नाम की धून

मोहब्बत दोनों को है एक समान

चुप्पी आ गयी जैसे बिन बुलायी मेहमान

आँखो से मेरे तू सच पढले

दिल के विराने में तू घर कर ले

अकेलेपन के तिमिर से तू मुझे बचाले

ज़िंदगी के सफ़र में आ मेरा साथ निभाले

जज़्बात तेरे, जज़्बात मेरे

ख़ामोशी की चादर ओढ़े

 

-Pooja Pariath