एक बार की बात है जब मेरे हाथों की उंगलियाँ उसके खुरदुरे पन्नो से लगी तब उसमे छपे शब्दो की तरंग मनो दिमाग में उस तरह प्रवेश हुई की पूरा शरीर संवेदनाओं से भर उठा था | चित्त का खुलना, विचारों में वैभवी उजाफा मैं मानो उस तरह महसूस कर रहा था जैसे मैं उसी प्यारी सी खुरदुरे पन्नो वाली किताब का मुख्य नायक हूँ | उन खुले अक्षरों से मैं उस तरह से लिपटा हुआ था मानो हम एक हो गए हो | वो मुझे अपनी दुनिया में आकर्षित कर रहे थे और मैं उनके मादक मज़मून का स्वाद मानो यूँ ले रहा था जैसे मदिरापान के बाद शराबी अपनी दुनिया में पूर्णतः खो गया हो | तभी अचानक कुछ गिरने का आभास हुआ, ज्यादा ध्यान नहीं रहा, ऐसा लग रहा था कुछ गिर रहा है | कुछ भीगा-भीगा सा महसूस हुआ | नजरे उनके मादक विषय से हटी और ध्यान उन पन्नो के कोर की तरफ पड़ा | बिलकुल धुंधला नजर आ रहा था | साँसो के आवागमन में एक सरसराहट सुनाई दी | किताब के खुले हुए उन पन्नो की बाईं तरफ के कोर में आंसू की बूंदे उस प्यारी सी किताब को भीगा रही थी जैसे अतिवृष्टि की बारिश का पानी सरिता से संगम हुआ, और बाद में वह सरिता बहते हुए समंदर की खोज में पागलों की भाति निकल पडी हो |
मेरा नाम अर्जुन है | मेरे पापा बिज़नेसमेन है | दिल्ली में हमारा बंगलो है | जिसमे में , मम्मी – पापा और दादा-दादी रहते है | पापा का बिज़नेस में अच्छा खासा चलता है और में उनका इकलौता वारिस हूँ इसीलिए मुझे कभी भी कोई चीज़ मांगने की ज़रुरत नहीं पड़ी है | बिन मांगे हर चीज़ मिल जाती है | मेरी परवरिश राजकुमारों जैसी हुई है , कभी भी किसी चीज़ की मुझे कमी खली हो ऐसा मुझे याद नहीं आ रहा | बारहवी के कॉमर्स इम्तिहान मे मैं एक विषय में फेल हुआ | कारण था मेरी संगत , में अपने दोस्तों के साथ बहोत घूमता था | इसी चक्कर में मेरे जीवन के चक्र घूम गया | माँ-बाप को हमारी पढाई की और हमारे उज्जवल भविष्य की इच्छा रहती है | हमे पता है की आज-कल उनसे भी ज़्यादा चिंता हमारे पड़ोसियो को होती है अगर उनके बच्चे पढ़ने में होशियार होते है | पापा थोड़े दुखी हुए मैं उनके अंदर के दुःख को समज सकता था | यह देख मुझे भी अंदर से दुःख हो रहा था की मैंने आज उनका दिल दुखाया है जिन्होंने कभी भी मेरे जीवन में दुखो को छुने नहीं दिया है | मेरे दिमाग में यह विचार चल ही रहा था की अचानक तब पापा आये और एक बड़े व्यक्ति की किताब मुझे थमा दी जो की जीवन जीने की कला सिखाती है | मैंने अपने जीवन अंतराल में कभी किताब नहीं पढ़ी थी , पर पापा के प्यार के सामने में झुक गया और धीरे – धीरे उस किताब को पढ़ना शुरू किया |
वह एक जादूई एहसास था | जैसे में कुछ नया जान रहा था | में देख पा रहा था , जो कभी मैंने कल्पना भी नहीं की थी मै वह समज पा रहा था, जीन विचारो को आजतक मैंने छुआ भी नहीं था | जैसे जैसे पन्ने फिरते गए मेरे जीवन के दिन बदलने लगे | एक ऊर्जा का अनुभव में अपने अंदर कर रहा था | में स्पष्टतः अपने जीवन में अनुशासन का अनुकरण करने लगा और वह बात मुझे पता भी नहि चली | एक विचार दिमाग में प्रतिक्षण गूंज रहा था की कभी कभी जीवन हमें वह प्रदान नहीं करते जिसकी हमें मनोकामना होती यही , क्योंकि आप उन चीज़ो के लायक नहीं होते हो, बल्कि आप उनसे भी अच्छी चीज़ो के हक़दार होते हो के आप उस प्रक्रिया से गुज़र रहे हो | अपनी बुद्धि के विकसित होने का एहसास थोड़ा बहोत होने लगा जब में उस किताब नाम की मादक मदिरा का सेवन करने लगा था | उसके बाद री-एक्ज़ाम में अच्छे अंको से उत्तीर्ण हुआ, क्यूंकि निष्ठा के साथ में यह देखने लगा था की जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान पाना भी एक प्रक्रिया का हिस्सा है , जिसमे हमारे विचारों को अन्यो की अनुमति मिलने लगती है , अगर हमारे विचार शुद्ध हो , कपटमुक्त हो | कुछ किताबे और पढ़ने के बाद में अपने आप में एक सकारात्मक गुण में वृद्धि होने लगी , दिमाग हंमेशा विचारो से घिरा रहने लगा था | शाब्दिक तर्क में सामर्थ्यता में महसूस करने लगा था | पापा की पूरे दिल्ली में बहोत पहचान व् इज्जत है | एक दिन मेरी वजह से उन्हें बेहद दुःख हुआ था ,आज वही बेटा उनका नाम दिल्ली में रोशन कर रहा था | बड़े – बड़े लोग मुझे मिलने आ रहे थे , में सबसे मिल रहा था | यह सब जादूई एहसास था | अनुसासित जीवन के कारण में लोगो की नजरो में एक समझदार व्यक्ति बनके खड़ा था | इसी के कारण आज में दिल्ली की सबसे बड़ी कंपनी का CEO बना हूँ | एक किताब ने मेरे जीवन में इतने परिवर्तन किये के उन बातों को में अपने शब्दों में बयां नहीं कर पा रहा हूँ | सब लोग मुझे मिलने आते है | बड़े बड़े मिडिया हॉउस मुझे मार्केटिंग के सवालो का जवाब देने के लिए बुलाते है | बड़े नेताओ से उठना बैठना है | यह सब उन सभी किताबों का जादू हैं जिसके सकारात्मक शब्दों ने मेरे विचारो को सकारात्मकता तथा ज्ञान से नहलाया है |
Samir Parmar
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आप का अर्जुन